Wednesday, May 4, 2016

Umrao Jaan

न आँखों की मस्ती के मस्ताने हज़ारों हैं
इन आँखों से वाबस्ता अफ़साने हज़ारों हैं 

इक तुम ही नहीं तन्हाँ, उल्फ़त में मेरी रुसवा 
इस शहर में तुम जैसे दीवाने हज़ारों हैं 
इन आँखों की...

इक सिर्फ़ हम ही मय को, आँखों से पिलाते हैं 
कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं 
इन आँखों की...

इस शम्म-ए-फ़रोज़ाँ को, आँधी से डराते हो 
इस शम्म-ए-फ़रोज़ाँ के परवाने हज़ारों हैं
इन आँखों की...

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